|| चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः || श्रावण मास के अवसर पर ‘श्री हरि कृपा डॉट काॅम‘ (http://sriharikripa.com) के तत्वावधान में भगवान आशुतोष नर्मदेश्वर बाबा के रुद्राभिषेक और छप्पन भोग का आयोजन भव्य किया गया।इस समारोह के मुख्य यजमान दिल्ली निवासी श्री अजय शर्मा जी द्वारा अपने जन्मदिन के उपलक्ष में यह पुण्यमय आयोजन …
Month: July 2020
कोरोना वायरस रूपी वैश्विक महामारी के विनाश की कामना से ‘श्री हरि कृपा डाँट काॅम’ (http://sriharikripa.com ) द्वारा श्रीरामचरितमानस के नवाह्न पारायण का पुण्यमय आयोजन महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अर्जुनपुरी जी महाराज की पावन अध्यक्षता में किया गया। मनुष्य के समस्त द्रारिदय, दुःख, भय हर कर उसे नाना विधि सुख, संपति, सिद्धि, मनवांछित फल व मोक्ष …
मनोज शर्मा यूँ तो बारहों महीनों चौबीसों घंटों में से कभी भी किसी भी अवस्था में किया गया भगवान का भजन पूजन लाभकारी व कल्याणकारी ही होता है। मानस में तुलसीदास जी ने लिखा है कि भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥ अर्थात् : श्रद्धा प्रेम भाव से, बगैर श्रद्धा भाव …
ब्रज के सांस्कृतिक रिक्थ के संरक्षकमहायोगी परम वीरता रस-सिद्ध संत परम पूज्यश्री श्रीपाद बाबा जी महाराज, ब्रज अकादमी, वृंदावन ब्रह्मलीन श्री दुर्गाचरणानुरागी सन्त नागपाल बाबा जी महाराज श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर, छतरपुर, नयी दिल्ली ब्रह्मलीन श्री पीताम्बरा पीठाधीश्वर राष्ट्रगुरु परमपूज्य श्री 1008 श्री स्वामी जी महाराज, वनखण्डेश्वर, दतिया (म.प्र.) ब्रहमलीन योगीराज देवरहा बाबा जी …
स्वामी श्री नारायण भट्ट जी महाराज द्वारा प्राकटय व सेवाइत श्री श्री राधा रानी जी (श्रीराधारानी मन्दिर, ब्रहमांचल पर्वत, श्रीधाम बरसाना) की मधुरम् मंगलाचरण झाँकी एवं गर्भगृह के सखियों सहित आनंदित श्रीयुगल सरकार के अति दुर्लभ अद्भुत मनोहारी अलौकिक दिव्य दर्शन स्वामी श्री हरिदास जी महाराज द्वारा प्राकटय व सेवाइत ठाकुर श्री बांके बिहारी जी …
दिव्य शास्त्रों, स्तोत्रों, स्तुतियों और प्रसंगों के श्रवण अध्यन मनन चिंतन से हृदय के अंतस में ईश्वर प्रेम का दीप प्रजज्वलित हो जाता है और यही इस मनुष्य जीवन की सार्थक उपलब्धि भी होती है। आजकल चे भौतिकतावादी संसार में प्रायः चारों ओर घनघोर अंधकार ही दिखायी देता है और उसी अंधेरे में प्रायः सभी …
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं,स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं,अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥१॥ भावार्थ–व्रजभूमि के एकमात्र आभूषण, समस्त पापों को नष्ट करने वाले तथा अपने भक्तों के चित्त को आनन्द देने वाले नन्दनन्दन को सदैव भजता हूँ, जिनके मस्तक पर मोरमुकुट है, हाथों में सुरीली बांसुरी है तथा जो प्रेम-तरंगों के सागर हैं, उन नटनागर श्रीकृष्णचन्द्र को नमस्कार करता हूँ। …
मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१) भावार्थ : समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं, आप प्रसन्नचित्त प्रफुल्लित मुख कमल वाली हैं, आप धरा पर निकुंज में विलास करने वाली हैं। आप राजा वृषभानु की राजकुमारी हैं, आप ब्रजराज नन्द …