“ॐ भागीरथये च विद्महे विष्णुपत्न्ये च धीमहि तन्नो ग॔गा प्रचोदयात्”
मनोज शर्मा
महाराज सगर के साठ हजार पुत्रों और मुनि भागीरथी जी के पूर्वजों, जो अपनी धृष्टता के कारण कपिल मुनि श्राप से भस्म होकर अधोगति को प्राप्त हो गए थे, की मुक्ति के हेतु ही नहीं अपितु समस्त जगत के कल्याण के लिए स्वर्गलोक निवासिनी गंगाजी महर्षि भागीरथी जी की घोर तपस्या, प्रार्थना और प्रयासों से आज ही के दिन पृथ्वीलोक पर अवतरित हुई थीं।
गंगाजी का ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में पृथ्वी पर पदार्पण हुआ था। इस बार वर्ष 2022 में हस्त नक्षत्र 9 जून को सुबह 4 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जून को सुबह 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगा एवं ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि भी गुरुवार, 9 जून को सुबह 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर शुक्रवार, 10 जून को सुबह 7 बजकर 25 मिनट तक है। जिस दिन मां की उत्पति हुई उस दिन दस योगो का एक साथ संयोग बना था, जोकि मास, पक्ष, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, लग्न, करण, वृष का सूर्य और कन्या का चंद्रमा आदि थे,और वह संयोग जयेष्ठ मास में जब भी दशमी के दिन बनता है उस दिन गंगा दशहरा (श्रीगंगा जयंती) मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 में 9 जून को इसमे से सात योगो का संयोग हो रहा है –
“ज्येष्ठ मासे सितेपक्छे दशम्याम् बुधहस्तयो:, व्यतीपाते गरानन्दे कन्या चन्द्रे वृषो रवौ, ज्येष्ठे मासि सिते पक्छे दशमी हस्त संयुता, हरते दश पापानि तस्मात् दशहरा स्मृता” (व्रह्म पुराण)
अतः धर्मसिंधु के नियमानुसार (“यत्र बहूनाग्रह्या योगा: सा ग्रह्या”) इस बार गंगा दशहरा महोत्सव गुरुवार, 9 जून 2022 को मनाया जा रहा है।
मां गंगा श्वेत वस्त्र धारणी, सब अवयवों से सुंदर, तीन नेत्रों वाली, चतुर्भुजी, रत्नकुंभ, श्वेतकमल, वरद और अभय से सुशोभित और मुक्ता मणियों से विभूषित है, सौम्य है, अमृतयुक्तचंद्रमा की प्रभाओं के समान सुख देने वाली हैं, जिन पर चामर डुलाए जा रहे हैं, श्वेत छत्र से भली भांति शोभित है, आप अत्यंत प्रसन्नचित्त व वर देने वाली हैं, निरंतर करुणार्द्रचित्त है, भूपृष्ठ को अमृत से प्लावित कर रही हैं, दिव्य गंध लगाए हुए हैं, त्रिलोकी से पूजित हैं, सब देवों से अधिष्ठित हैं, दिव्य रत्नों से विभूषित हैं, दिव्य ही माल्य और अनुलेपन हैं; ऐसी गंगा मां के जल का ध्यान करके आज गंगा दशहरा के दिन श्रद्धा-भक्ति पूर्वक सुरेश्वरी गंगा का पूजन-अर्चन पितृ तृप्ति, स्व कल्याण व अपने परिवार देश और विश्व शांति के लिए करें। इस दिन दीप प्रज्ज्वलित कर मां गंगा का पुष्पों, दूध व पंचामृत से अभिषेक कर वस्त्र आभूषण श्रृंगार सामग्री आदि एवं फल मिष्ठान नैवेद्य समर्पित कर पूजन अर्चन और दान पुण्य करना चाहिए, इससे घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती हैं।
पतित पावनी गंगा साक्षात् भगवती प्रकृति तो हैं ही, वे ब्रह्मा विष्णु और महेश को एकाकार करने वाली त्रिवेणी हैं, विष्णुपदी गंगा; ब्रह्म-कमंडल वासिनी और शिव-जटा शोभादायिनी भी हैं। गंगा; देव-लोक (स्वर्ग), पृथ्वी-लोक (भूमि) और पाताल-लोक तीनों लोकों को धन्य करने वाली व त्रिभुवन तारणी हैं। भगवती गंगे; जलचर, थलचर और नभचर तीनों प्रकार के समस्त जीवो को पोषित करने वाली हैं। मां गंगा; देव दानव और मानव द्वारा स्तुत्य व पूजित हैं और उनके रोग शोक ताप पाप हरकर उनको सिद्धि भक्ति और मुक्ति प्रदान करने वाली व कल्पवृक्ष से भी अधिक महिमाशाली और ऐश्वर्यशाली हैं।
गंगा स्नान और गंगाजल पान से तो मनुष्य को पाप से मुक्ति मिलती ही है किंतु गंगाजी के दर्शन और गंगाजी के स्वरूप के ध्यान मात्र से भी; मनुष्य को उसके पापों से मुक्ति मिल जाती हैं, और यहां तक कि कई पीढ़ियों के पितरों को भी तृप्ति प्राप्त होती जाती है। ऐसी अद्भुत महिमा है मां गंगा और उसके जल और स्वरूप की।
मां गंगा के प्राकट्य दिवस गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करके मां गंगा से मनोवांछित वरदान और सुख समृद्धि भक्ति व मुक्ति को प्राप्त किया जा सकता है। पापों का नाश और पितृ दोष दूर करने के लिए भी गंगा दशहरा पर गंगा जी का पूजन अर्चन जप और अनुष्ठान आदि विशेष उपाय किए जा सकते हैं, किन्तु यदि किसी कारणवश आप गंगा दशहरा के दिन यदि गंगा में आस्था की डुबकी नहीं लगा पाएं तो आस-पास की नदी, सरोवर, कुंड या तालाब में भी मां गंगा का स्मरण करके डुबकी लगाई जा सकती है। यदि ऐसा भी संभव न हो तो आप घर ही पर गंगाजल युक्त पानी से अवश्य स्नान करें। घर में स्नान से पूर्व इस निम्न श्लोक का उच्चारण करते हुए गंगाजलयुक्त में गंगाजी सहित सातों पवित्र नदियों का आवाहन करें –
“ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।”
गंगा या किसी भी पवित्र नदी सरोवर अथवा गंगाजल युक्त जल से स्नान करते समय व्यक्ति को मां गंगा से सभी पापों की क्षमा मांगते हुये मोक्ष प्रदान करने की प्रार्थना करनी चाहियें-
गंगावारि मनोहारि मुरारि चरणच्युतम्।
त्रिपुरारि शिरश्चारि पापहारि पुनातुमाम्।।
अर्थात – जो श्री मुरारी (विष्णुजी) के चरणों से उत्पन्न हुआ है, श्री त्रिपुरारी (शंकरजी) सिर पर विराजमान है तथा सम्पूर्ण पापों का हरण करने वाला है, वह मनोहारी गंगाजल मुझे पवित्र करें व मुझे मोक्ष प्रदान करें।
उपरोक्त श्लोक के अतिरिक्त स्नान करते समय “ॐ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः” मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं।
इस दिन गंगा में या गंगाजल युक्त पानी से स्नान करने वाले व्यक्ति को तो मोक्ष की प्राप्ति होती ही है, गंगा मैय्या के दर्शन, नाम जपने से और स्मरण मात्र से भी आस्थावान व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
जिस दिन मां की उत्पति हुई उस दिन दस योगो का एक साथ संयोग बना था, अतः शास्त्रीय मान्यता है की गंगा दशहरा पर गंगाजी में आस्था की डुबकी लगाने से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में गंगा दशहरा के दिन दान करने का विशेष महत्व बताया गया है इसीलिए इस दिन दान व पुण्य धर्म के कार्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन 10 चीजों का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। पूजन सामग्री में भी 10 वस्तुओं का प्रयोग, 10 प्रकार के फल और फूल का प्रयोग विशेष फलदायक होता है।