सावन के महीने में शिव पूजा की महिमा

मनोज शर्मा

यूँ तो बारहों महीनों चौबीसों घंटों में से कभी भी किसी भी अवस्था में किया गया भगवान का भजन पूजन लाभकारी व कल्याणकारी ही होता है। मानस में तुलसीदास जी ने लिखा है कि

भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥

अर्थात् : श्रद्धा प्रेम भाव से, बगैर श्रद्धा भाव से, क्रोध से या आलस्य से, किसी तरह से भी नाम जपने से दसों दिशाओं में कल्याण होता है।

सालभर के बारह माह में से वैशाख, श्रावण, कार्तिक और माघ ये चार मास प्रभु भक्ति हेतु विशेष फलदायी मानें गये हैं। इन चार महीनों में से सावन का महीना शिव आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

सावन में शिव भक्ति का पुराणों संहिताओं में विस्तृत उल्लेख है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है। पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि इसी मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथन से जो हलाहल विष निकला उसे भगवान शंकर ने अपने कंठ में धारण कर सृष्टि की रक्षा की, लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसीसे उनका नाम नीलकंठ महादेव पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है। अतः सावन मास में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है। वेद मंत्रों के साथ भगवान शंकर को जलधारा अर्पित करना साधक के आध्यात्मिक जीवन के लिए महाऔषधि के सामान है। पांच तत्व में जल तत्व बहुत महत्वपूर्ण है। मानव शरीर में भी लगभग 70% जल तत्व विधमान है।

सावन के महीने में सबसे अधिक बारिश होती है जिससे लोककल्याण के लिए विष को पीने वाले शिव के गर्म शरीर को ठंडक व सुकून मिलता है। इसलिए शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
शिव के शीष पर विराजित गंगा और चन्द्रमा विष से तप्त शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं इसीलिए सोमवार को गंगाजल मिश्रित जलाभिषेक या पंचामृत (गाय का दूध, गाय का दही, गाय का घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक के रुप में की जाने वाली अराधना शिव प्रसन्नता कारक है और उसका उत्तमोत्तम फल है।

जल एवं दूध आदि आदि अन्य द्रव्यों से रुद्राभिषेक का फल

गंगाजल से ज्वर की शांति होती है, तीर्थ जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है, गौ दूध से पुत्र और घर में सुख शांति प्राप्ति होती है, दही से धन की प्राप्ति होती है, घी से समाज में मान प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है वंश की वृद्धि होती है, शहद से धन की वृद्धि होती है, गन्ने के रस से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, सरसों तेल से शत्रु का नाश होता है पापों का नाश होता है और इत्र से रोग मुक्ति होती है।

शिवजी विभिन्न अन्य सामग्री अर्पित करने का फल

बिल्वपत्र चढ़ाने से आत्मा की शुद्धि व मनोकामना पूर्ण होती है, धतूरे के फल चढ़ाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ में संतान सुख भी प्राप्ति होती है, दूर्वा चढ़ाने से आयु की वृद्धि होती है, पान का पत्ता चढ़ाने से सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है, धतूरा और कनेर का फूल चढ़ाने से शुभता बढ़ती है, बेला का फूल अर्पण करने से मनोनुकूल मन के अनुकूल सुंदर सुशील तथा उत्तम पत्नी उत्तम पति की प्राप्ति होती है, हरसिंगार का पुष्प चढ़ाने आर्थिक समृद्धि होती है, आंक का फूल चढ़ाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है उच्चपद की प्राप्ति होती है, चमेली का फूल चढ़ाने से वाहन इत्यादि का सुख प्राप्त होता है, अलसी चढ़ाने से शक्ति की प्राप्ति होती है और शमी पत्र चढ़ाने से सारे पाप नष्ट होते हैं मोक्ष पद को प्राप्त होता है।

विभिन्न जन्म राशि वाले जातक निम्न द्रव्य-सामग्रियों से रुद्राभिषेक करें

  1. मेष राशि गन्ने के रस से अभिषेक करें
  2. वृषभ राशि दूध, दही से अभिषेक करें
  3. मिथुन राशि दुर्वा मिश्रित गन्ने के रस से अभिषेक करें
  4. कर्क राशि देसी घी और दूध से अभिषेक करें
  5. सिंह राशि चीनी और गन्ने के रस से अभिषेक करें
  6. कन्या राशि गंगाजल और दूर्वा मिश्रित करके अभिषेक करें
  7. तुला राशि घी दूध दही से अभिषेक करें
  8. वृश्चिक राशि पंचामृत से अभिषेक करें
  9. धनु राशि चंदन दूध और गंगाजल से अभिषेक करें
  10. मकर राशि किसी तीर्थ के जल या गंगा जल से अभिषेक करें
  11. कुंभ राशि दही शक्कर शहद से अभिषेक करें
  12. मीन राशि पंचामृत और शहद से अभिषेक करें।

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