गणपति पार्थिव उत्सव विग्रह विसर्जन

आनंद और भावुकता के मिले-जुले सागर सागर में हुई गणपति पार्थिव मूर्ति की विदाई

ग्यारह दिनों तक चली गणपतिजी की अनवरत भावपूर्ण आराधना निर्विघ्नं और सानंद संपन्न हुयी। इन ग्यारह दिनों में घर के सभी बच्चें, खुद पानी भी पीने से पहले अपने गणेशा को पहले पानी पिलाते थे। अपने नहाने धोने और अपने सजने सवरने से पहले रात रात भर जागकर, कोई ताजा बने गुनगुने गुलाबजल से नन्हें गणेशा के बदन को अंगोछ रहा है, तो कोई फूलों का सिंगार कर रहा है, तो कोई वस्त्र पहना रहा है। कोई रंगोली बना रहा है, कोई दीवारों पर चित्रकारी कर रहा है। कोई खुद ही झाड़ू पोछा कर फर्श पर बड़े ही भाव से सुंदर सलीके से बिछावन कर रहा है। घर के सभी बालक बप्पा को नए-नए वस्त्र आभूषण पहनाकर बड़े ही मनोभाव से रात रात भर जागकर ना सिर्फ उनका सुंदर सिंगार करते थे बल्कि पूरे कक्ष और घर को भी सजाते सवारतें थें और फिर उसे देखकर हर्ष और संतुष्टि भाव से फूले नहीं समाते थे।

लेकिन कल अनंत चतुर्दशी की शाम को दुख हर्ता, सुख कर्ता गणपति के पार्थिव उत्सव विग्रह के विदा की बेला में जहां एक ओर वातावरण में आनंद था और तन हर्षित होकर नृत्य कर रहा था, वहीं दूसरी ओर मन में थोड़ी उदासीनता भी थी कि आज गणपति हमसे विदा ले रहे हैं। आंखों से आंसू छलक ने को बेताब थे, इसमें आंखों की रोशनी धुंधली सी हो रही थी। गला रूंधनें सा लगा था, गले से आवाज़ और शब्द निकलने में कठिनाई सी हो रही थी। हां, लेकिन इन सब के बावजूद भी वह उदासीनता कोई विशेष उद्विग्नता नहीं उत्पन्न कर रही थी, बल्कि इसमें एक अजीब सी संतुष्टि शांति और तृप्ति का भाव भी सन्निहित था कि आज गणपति हम सब पर अपना भरपूर आनंद और संपूर्ण कृपा वर्षा कर अपने धाम पधार रहे हैं।

श्री हरि कृपा डॉट कॉम (http://sriharikripa .com) के तत्वावधान में इस ग्यारह दिवसीय श्रीगणेश महोत्सव के आयोजक श्री राजकुमार शर्मा ने बताया कि परंपरा अनुसार पर्यावरण हितैषी तरीके से कल शाम हमने अपने घर के बगीचे में गंगाजल गुलाबजल केवड़े इत्र और सुगंधित फूलों आदि मिले पानी के एक बड़े ताश में भगवान गणेश की पार्थिव उत्सव मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया। मूर्ति विसर्जन से पूर्व रिद्धि-सिद्धि और बुद्धि के दाता भगवान गजानन से अगले वर्ष जल्दी आने की प्रार्थना की गयीं। 22 अगस्त को श्री गणेश चतुर्थी वाले दिन हमने गणपति की स्थापना की थी। श्री गणेश उत्सव के इन ग्यारह दिनों के दौरान हमारे इस गणपति उत्सव की प्रेरक और मुख्य यजमान मेरी बेटी सौम्य शर्मा द्वारा श्री अजय शर्मा जी के आचार्यत्व में रोज सुबह गणेश अथर्वशीर्ष और गणपति जी का अष्टोत्तरशत पूजन (108 नाम पूजा) आरती और रोज शाम को श्रीगणेश अथर्वशीर्ष और सहस्त्रार्जन (1008 नाम पूजा) आरती आदि बड़ी श्रद्धा भक्ति के साथ संपन्न किया गयें। इन ग्यारह दिनों के मध्य गणेश जी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की गई और हर दिन भगवान गणेश जी को उनकी प्रिय विभिन्न चीजों का भोग लगाया गया।

श्री राजकुमार शर्मा ने इस आयोजन की पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए कहा कि पिछले साल मेरे बेटी सौम्या शर्मा मुंबई से एक प्रोफेशनल कोर्स कर रही थी। वहां उसने बड़े मन से लोगों को गणेश उत्सव मनाते हुए देखा। वह अक्सर सिद्धिविनायक मंदिर मे भी गणपति महाराज के दर्शनों के लिए जाया करती थी। इसलिए उसके मन में गणपति स्थापना करने का शुभ पुण्य विचार आया। अतः हमने अपने घर पंडित हरिदत्त शर्मा निवास, गुलमोहर पार्क, नई दिल्ली पर गणपति स्थापना का यह आयोजन किया। पहले हमारा विचार सिर्फ डेढ़ दिन गणपतिजी बैठाने का था। फिर 3 और 5 दिन का विस्तार किया। किंतु धीरे धीरे सौम्या का प्रेम और श्रद्धा भाव बढ़ता गया बल्कि यूं कहें कि गणपति जी की कृपा बढ़ती गई और यह समारोह पूर्ण परंपरागत रूप से पूरे ग्यारह दिन “अनंत चतुर्दशी” तक चला।

इस अवसर पर हरिद्वार से शर्मा परिवार के गुरुजी महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुनपुरी जी महाराज ने सौम्या शर्मा को आशीर्वाद देते हुए कहा कि भगवान गणपति तुम्हारे सब मनोरथ संपूर्ण करें और सदैव अपनी कृपा तुम पर बनाए रखें। इस ग्यारह दिवसीय श्रीगणेश महोत्सव के अवसर पर शर्मा परिवार के अनेक ईष्ट मित्रों व संबंधियों ने भी हर रोज सुबह शाम Online Webinar के माध्यम से live उपस्थित रह कर गणेश उत्सव मनाया और धर्म लाभ प्राप्त किया।

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