संत दर्शन

ब्रज के सांस्कृतिक रिक्थ के संरक्षकमहायोगी परम वीरता रस-सिद्ध संत परम पूज्यश्री श्रीपाद बाबा जी महाराज, ब्रज अकादमी, वृंदावन ब्रह्मलीन श्री दुर्गाचरणानुरागी सन्त नागपाल बाबा जी महाराज श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर, छतरपुर, नयी दिल्ली ब्रह्मलीन श्री पीताम्बरा पीठाधीश्वर राष्ट्रगुरु परमपूज्य श्री 1008 श्री स्वामी जी महाराज, वनखण्डेश्वर, दतिया (म.प्र.) ब्रहमलीन योगीराज देवरहा बाबा जी …

देवालय दर्शन

स्वामी श्री नारायण भट्ट जी महाराज द्वारा प्राकटय व सेवाइत श्री श्री राधा रानी जी (श्रीराधारानी मन्दिर, ब्रहमांचल पर्वत, श्रीधाम बरसाना) की मधुरम् मंगलाचरण झाँकी एवं गर्भगृह के सखियों सहित आनंदित श्रीयुगल सरकार के अति दुर्लभ अद्भुत मनोहारी अलौकिक दिव्य दर्शन स्वामी श्री हरिदास जी महाराज द्वारा प्राकटय व सेवाइत ठाकुर श्री बांके बिहारी जी …

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दिव्य शास्त्रों, स्तोत्रों, स्तुतियों और प्रसंगों के श्रवण अध्यन मनन चिंतन से हृदय के अंतस में ईश्वर प्रेम का दीप प्रजज्वलित हो जाता है और यही इस मनुष्य जीवन की सार्थक उपलब्धि भी होती है। आजकल चे भौतिकतावादी संसार में प्रायः चारों ओर घनघोर अंधकार ही दिखायी देता है और उसी अंधेरे में प्रायः सभी …

श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र

भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं,स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं,अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥१॥ भावार्थ–व्रजभूमि के एकमात्र आभूषण, समस्त पापों को नष्ट करने वाले तथा अपने भक्तों के चित्त को आनन्द देने वाले नन्दनन्दन को सदैव भजता हूँ, जिनके मस्तक पर मोरमुकुट है, हाथों में सुरीली बांसुरी है तथा जो प्रेम-तरंगों के सागर हैं, उन नटनागर श्रीकृष्णचन्द्र को नमस्कार करता हूँ। …

श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र

मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१) भावार्थ : समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं, आप प्रसन्नचित्त प्रफुल्लित मुख कमल वाली हैं, आप धरा पर निकुंज में विलास करने वाली हैं। आप राजा वृषभानु की राजकुमारी हैं, आप ब्रजराज नन्द …

श्रीयुगल-कीर्तन स्तुति

।।श्री राधाबल्लभो जयति।। जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे।। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा।। जय राधे… श्यामा गोरी नित्य किशोरी,  प्रीतम जोरी श्री राधे।। रसिक रसीलौ छैलछबीलौ,  गुन गरबीलौ श्री कृष्णा।। जय राधे… रासबिहारिनि रसविस्तारिनि, पिय उर धारिनि श्री राधे।। नव-नव रंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी …

श्री गुरू महिमा

मनोज शर्मा भारतीय सभ्यता संस्कृति के पांच आधार स्तम्भ हैं :  गंगा, गाय, गीता, गायत्री और गुरू। इनके बिना भारतीय संस्कृति की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सात समुद्र की मसि करूँ, लेखनी सब बनराय। धरती सब कागद करूँ, गुरु गुन लिखा न जाय।। कबीरदासजी ने कहा है कि ‘सातों समुद्रों के पानी को स्याही, सारे जंगलों …