कथा-प्रसंग

श्री गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना

श्री गणेश चतुर्थी के पुण्य अवसर पर ‘श्री हरि कृपा डॉट काॅम‘ (http://sriharikripa .com) के तत्वावधान में गुलमोहर पार्क नई दिल्ली निवासी सौम्या शर्मा ने अपने निवास स्थान पर गणपति स्थापना का भव्य आयोजन किया। Online Live Webinar के माध्यम से वाराणसी से श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर के तीर्थ पुरोहित व वैदिक ब्राह्मण पंडित वेंकटेश …

महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुनपुरी जी महाराज ‘मानस परमहंस’ के जन्मदिन पर सुंदरकांड पाठ का आयोजन

जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुनपुरी जी महाराज “मानस परमहंस” (संस्थापक व अध्यक्ष, श्री तुलसी मानस मंदिर, सप्त सरोवर मार्ग, हरिद्वार) के जन्मदिन के अवसर पर 15 अगस्त 2020, शनिवार को ‘श्री हरि कृपा डॉट काॅम‘ (http://sriharikripa .com) के तत्वावधान में प्रातः काल बेला में स्वामीजी महाराज का गुरू पद-पूजन, आशुतोष भगवान नर्मदेश्वर महादेव …

भगवान आशुतोष शिव के पूजन, अभिषेक एवं छप्पन भोग का भव्य आयोजन

|| चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः || श्रावण मास के अवसर पर ‘श्री हरि कृपा डॉट काॅम‘ (http://sriharikripa.com) के तत्वावधान में भगवान आशुतोष नर्मदेश्वर बाबा के रुद्राभिषेक और छप्पन भोग का आयोजन भव्य किया गया।इस समारोह के मुख्य यजमान दिल्ली निवासी श्री अजय शर्मा जी द्वारा अपने जन्मदिन के उपलक्ष में यह पुण्यमय आयोजन …

कोरोना महामारी के विनाश के लिये नौ दिवसीय रामकथा का आयोजन

कोरोना वायरस रूपी वैश्विक महामारी के विनाश की कामना से ‘श्री हरि कृपा डाँट काॅम’ (http://sriharikripa.com ) द्वारा श्रीरामचरितमानस के नवाह्न पारायण का पुण्यमय आयोजन महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अर्जुनपुरी जी महाराज की पावन अध्यक्षता में किया गया। मनुष्य के समस्त द्रारिदय, दुःख, भय हर कर उसे नाना विधि सुख, संपति, सिद्धि, मनवांछित फल व मोक्ष …

सावन के महीने में शिव पूजा की महिमा

मनोज शर्मा यूँ तो बारहों महीनों चौबीसों घंटों में से कभी भी किसी भी अवस्था में किया गया भगवान का भजन पूजन लाभकारी व कल्याणकारी ही होता है। मानस में तुलसीदास जी ने लिखा है कि भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥ अर्थात् : श्रद्धा प्रेम भाव से, बगैर श्रद्धा भाव …

श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र

भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं,स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं,अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥१॥ भावार्थ–व्रजभूमि के एकमात्र आभूषण, समस्त पापों को नष्ट करने वाले तथा अपने भक्तों के चित्त को आनन्द देने वाले नन्दनन्दन को सदैव भजता हूँ, जिनके मस्तक पर मोरमुकुट है, हाथों में सुरीली बांसुरी है तथा जो प्रेम-तरंगों के सागर हैं, उन नटनागर श्रीकृष्णचन्द्र को नमस्कार करता हूँ। …