स्त्रोत्र-संग्रह

श्रीकृष्ण कवच

श्रीमहादेव उवाच त्रैलोक्य विजयस्यास्य कवचस्य प्रजापितः।        ऋषिश्छन्दश्च गायत्री देवी राधेश्वरः स्वयम्।। त्रैलोक्य विजयप्राप्तौ विनियोगः प्रकीर्तितः।        परात्परं च कवचं त्रिषु लोकेषु दुर्लभम्।। प्रणवो मे शिरःपातु श्रीकृष्णाय नमः सदा।        पायात् कपालं कृष्णाय स्वाहा पंचाक्षरः स्मृतः।। कृष्णेति पातु नेत्र च कृष्ण स्वाहेति तारकम्।        हरये नम इत्येवं भ्रूलतां पातु मे सदा।। ॐ गोविन्दाय स्वाहेति नासिकां …

श्रीराधा कवच

पार्वत्युवाच कैलासवासिन् भगवान् भक्तानुग्रहकारक।                 राधिकाकवचं पुण्यं कथयस्व मम प्रभो।। यद्यस्ति करुणा नाथ त्रहि मां दुःखताभयात्।                 त्वमेव शरणं नाथ शूलपाणे पिनाकधृक्।। शिव उवाच श्रृणुष्व गिरिजे तुभ्यं कवचं पूर्वसंचितम्।                 सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वहत्याहरं परम्।। हरिभक्तिप्रदं साक्षाद्भुक्तिमुक्तिप्रसाधनम्।                 त्रैलोक्याकर्षणं देवि हरिसान्निध्यकारकम्।। सर्वत्र जयदं देवि सर्वशत्रुभयावहम्।                 सर्वेषां चैव भूतानां मनोवृत्तिहरं परम्।। चतुर्धा मुक्तिजनकं सदानन्दकरं परम्।                 …

श्री राधा जी की आरती

जय जय श्री राधे जू मैं शरण तिहारी। लोचन आरती जाऊँ बलिहारी।।जय जय श्री राधे जू… पाट पटम्बर ओढ़े नील सारी। सीस के सैन्दुर जाऊँ बलिहारी।।जय जय श्री राधे जू… रतन सिंहासन बैठे श्री राधे। आरती करें हम पिय संग जोरी।।जय जय श्री राधे जू… झलमल-झलमल मानिक मोती। अब लक मुनि मोहे पिय संग जोरी।।जय …

श्रीयुगलकिशोर जी की आरती

आरती युगलकिशोर की कीजै।तन मन धन न्योछावर कीजै॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै।हरि का रूप नयन भरि पीजै॥ रवि शशि कोटि बदन की शोभा।ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥ ओढ़े नील पीत पट सारी।कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥ फूलन सेज फूल की माला।रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥ कंचन थार कपूर की बाती।हरि आए निर्मल भई छाती॥ श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।आरती करें सकल …

मधुराष्टकम्

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥ वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥ गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।रूपं मधुरं …

श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र

भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं,स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं,अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥१॥ भावार्थ–व्रजभूमि के एकमात्र आभूषण, समस्त पापों को नष्ट करने वाले तथा अपने भक्तों के चित्त को आनन्द देने वाले नन्दनन्दन को सदैव भजता हूँ, जिनके मस्तक पर मोरमुकुट है, हाथों में सुरीली बांसुरी है तथा जो प्रेम-तरंगों के सागर हैं, उन नटनागर श्रीकृष्णचन्द्र को नमस्कार करता हूँ। …

श्रीयुगल-कीर्तन स्तुति

।।श्री राधाबल्लभो जयति।। जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे।। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा।। जय राधे… श्यामा गोरी नित्य किशोरी,  प्रीतम जोरी श्री राधे।। रसिक रसीलौ छैलछबीलौ,  गुन गरबीलौ श्री कृष्णा।। जय राधे… रासबिहारिनि रसविस्तारिनि, पिय उर धारिनि श्री राधे।। नव-नव रंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी …