आरती बालकृष्ण की कीजै, तन मन प्राण, न्योछावर कीजै। श्री यसुदा को परम दुलारो, बाबा की आंखिन को तारो,गोपिन के प्राणन ते प्यारो, इन पर प्राण न्योछावर कीजै।आरती श्रीबालमुकुन्द जी की कीजै… बलदाऊ को छोटो भैया, कनुआ कही-कही बोले याकी मैया,परम मुदित मन लेत बलैया, अपनों सरवस इनको दीजै।।आरती श्रीबालकृष्ण जी की कीजै… श्री राधावर …
नमस्ते परमेश्वरि रास मण्डल वासिनी।रासेश्वरी नमस्तेस्तु कृष्ण प्राणाधिक प्रिये।। नमस्त्रैलोक्य जननि प्रसीद करुणार्णवे।ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्धमान पदाम्बुजे।। नमः सरस्वती रूपे नमः सावित्रि शंकरि।गंगा पप्रवति रूपे षष्ठि मंगल चण्डिके।। नमस्ते तुलसी रूपे नमो लक्ष्मी स्वरूपिणी।नमो दुर्गे भगवति नमस्ते सर्वरूपिणी।। मूल प्रकृति रूपां त्वां भजामिः करुणार्णवाम्।संसार सागरादास्मानुद्धाराम्ब दयां कुरु।। इदं स्तोत्रं त्रिसंध्यं य पठेद्राधास्मरन्नार:।न तस्य दुर्लभं किंचित् कदाचिच्च भविष्यति।। देहान्ते न …
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥ वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥ गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।रूपं मधुरं …
।।दोहा।। श्री राधे वुषभानुजा , भक्तनि प्राणाधार ।वृन्दाविपिन विहारिणी , प्रानावौ बारम्बार ।।जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम ।। ।।चौपाई।। जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा ।।नित्य बिहारिनी रस विस्तारिणी, अमित मोद मंगल दातारा ।।1।। राम विलासिनी रस विस्तारिणी, सहचरी सुभग यूथ मन भावनी ।।करुणा …
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं,स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं,अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥१॥ भावार्थ–व्रजभूमि के एकमात्र आभूषण, समस्त पापों को नष्ट करने वाले तथा अपने भक्तों के चित्त को आनन्द देने वाले नन्दनन्दन को सदैव भजता हूँ, जिनके मस्तक पर मोरमुकुट है, हाथों में सुरीली बांसुरी है तथा जो प्रेम-तरंगों के सागर हैं, उन नटनागर श्रीकृष्णचन्द्र को नमस्कार करता हूँ। …
मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१) भावार्थ : समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं, आप प्रसन्नचित्त प्रफुल्लित मुख कमल वाली हैं, आप धरा पर निकुंज में विलास करने वाली हैं। आप राजा वृषभानु की राजकुमारी हैं, आप ब्रजराज नन्द …
।।श्री राधाबल्लभो जयति।। जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे।। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा।। जय राधे… श्यामा गोरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे।। रसिक रसीलौ छैलछबीलौ, गुन गरबीलौ श्री कृष्णा।। जय राधे… रासबिहारिनि रसविस्तारिनि, पिय उर धारिनि श्री राधे।। नव-नव रंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी …