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ब्रज की द्वापरयुगीन अनोखी परंपरा : “लड्डू होली” एवं “लट्ठमार होली”

ब्रज की होली अपनी अनूठी और अनोखी परंपराओं के कारण सारे विश्व में प्रसिद्ध है। होली का अनुपम व अलौकिक रंग और रस ब्रज के कण-कण में छाया रहता है। ब्रज के इस “होरी लीला” उत्सव के अधिदेवता शाश्वत दंपत्ति भगवान श्रीराधाकृष्ण हैं। होली लीला भगवान श्रीराधाकृष्ण युगल‌ सरकार की अति प्रिय लीला है, अतः आत्मिक आनंद की असीम अनुभूति के आध्यात्मिक पर्व “होली” का यह पावन उत्सव श्रीराधाकृष्ण के अमर-प्रेम से जुड़ा हुआ है, जो द्वैत से अद्वैत के मिलन का प्रतीक भी है।‌ श्रीराधाकृष्ण का प्रेम “पाने या खोने” की बाध्यताओं से कहीं ऊपर है। श्रीराधाकृष्ण के इस प्रेम में‌ समर्पण और अधिकार दोनों का वह सागर है जहां “मुनि मति ठाड़ि तीर अबला सी” रह जाती है, अर्थात् जिसकी थाह कोई नहीं पा सकता।