महाराज सगर के साठ हजार पुत्रों और मुनि भागीरथी जी के पूर्वजों, जो अपनी धृष्टता के कारण कपिल मुनि श्राप से भस्म होकर अधोगति को प्राप्त हो गए थे, की मुक्ति के हेतु ही नहीं अपितु समस्त जगत के कल्याण के लिए स्वर्गलोक निवासिनी गंगाजी महर्षि भागीरथी जी की घोर तपस्या, प्रार्थना और प्रयासों से आज ही के दिन पृथ्वीलोक पर अवतरित हुई थीं।